Sunday, June 28, 2009
"WHEN I WRITE A PARAGRAPH"
When I write a paragraph...
My friend...all my friends
Read this..... and tell...
Do I worth reading, when I write a Paragraph?
I might be harsh at times on you,
Mild, or assuaging for a few.
More often than not,I might be complaining,
It might be hurting, it might be paining.
Its been hard to grasp the gist, they say,
I have been obscure, the other way.
Little unfair to me as I imagine and hover
for you to read and savour, not to ponder over.
An open mind, a praising heart, a word of acclaim,
is all needed to get me the fame.
Fame is the last thing at the back, no one needs it,
The real happiness is when a friend, like u, reads it.
Thursday, February 26, 2009
थे हेअवेंस ड्रीम
I got a message, I got a dream,
A dream of the heaven, the heavens dream.
The heaven angel and all the fairies,
In my welcome, with a bright gleam.
Le'mme think, le'mme re-think, is it what it does seem?
The heavens dream.
The thrown away desires, youthful again,
the peach color cloud and the golden rain,
A fall from nowhere, disappearing into drain,
Am i crazy, am I insane?
Le'mme think, le'mme re-think, is it what it does seem?
The heavens dream.
I am being ushered to the heaven flora.
Flowers & leaves & buds, rather joy in plethora,
A Warmth wound and a healing chill, both in a zephyr,
A giant hearse of all the sorrows, and a mammoth pyre,
Le'mme think, le'mme re-think, is it what it does seem?
The heavens dream.
A dream of the heaven, the heavens dream.
The heaven angel and all the fairies,
In my welcome, with a bright gleam.
Le'mme think, le'mme re-think, is it what it does seem?
The heavens dream.
The thrown away desires, youthful again,
the peach color cloud and the golden rain,
A fall from nowhere, disappearing into drain,
Am i crazy, am I insane?
Le'mme think, le'mme re-think, is it what it does seem?
The heavens dream.
I am being ushered to the heaven flora.
Flowers & leaves & buds, rather joy in plethora,
A Warmth wound and a healing chill, both in a zephyr,
A giant hearse of all the sorrows, and a mammoth pyre,
Le'mme think, le'mme re-think, is it what it does seem?
The heavens dream.
What Will I Leave Behind?
What Will I Leave Behind?
I have written poetry for
a few years and I ask
What will I leave behind
when I have passed?
I've shared my deepest thoughts
let you peel away my shell
I have allowed you to look into my
soul, hiding nothing from you
I have painted countless paintings
with each line that you've read
Do you wonder what I am like?
can you shape me in your mind?
Greatness I am not, for I will not
follow Poe, Emerson or Dickenson
No, I have made my own path and
ask, will you remember me?
Don’t ask “Who I was”,
For, I leave behind my words and
Strokes of my brush to figure you out
“Who I was”
I leave you with few words, fewer
memories other then to ask
Will you tuck away a poem or two
and let my memory linger?
I have written poetry for
a few years and I ask
What will I leave behind
when I have passed?
I've shared my deepest thoughts
let you peel away my shell
I have allowed you to look into my
soul, hiding nothing from you
I have painted countless paintings
with each line that you've read
Do you wonder what I am like?
can you shape me in your mind?
Greatness I am not, for I will not
follow Poe, Emerson or Dickenson
No, I have made my own path and
ask, will you remember me?
Don’t ask “Who I was”,
For, I leave behind my words and
Strokes of my brush to figure you out
“Who I was”
I leave you with few words, fewer
memories other then to ask
Will you tuck away a poem or two
and let my memory linger?
जब में छोटा बच्चा था !!!
जब मैं छोटा बच्चा था, क्या मैं ज़्यादा अच्छा था?
ये एक सवाल है तुम सब से, ये एक सवाल है हम सब से
जो दुनिया चम् - चम् करती है, क्या ये अच्छी है बचपन से?
जब कभी चाय का प्याला माँ लेकर सिरहाने होती थी
या कभी - कभी जब बाबूजी की सौ उलाहने होती थी
आँगन मैं आधा चंदा और आधा सूरज सा होता था
तुलसी हंसती थी महक-महक और नीम दातून पिरोता था
आँगन के कोने का जो नल, हर सुबह भूत बन जाता था
उस भूत के मुँह से सर्प निकल, हल-हल विषदंत चुभाता था
साबुन का झाग तो दुश्मन था, सपनो का महल बिखरता था
आंगनबाडी तो अच्छी थी, पर बसता बहुत अखरता था
जो पाठ पढ़ा था कल तुमने, उसको दोहराओ आज ज़रा
ये शब्द नही थे तरकश थे, सब लोग सहम से जाते थे
दो पल के लिए सभी बच्चे, हनुमान भक्त हो जाते थे
सर छुपा- छुपा के पुस्तक मे. हनुमान चालीसा गाते थे
छड़ लिए सामने मास्टरजी, कोई दानव से लगते थे
इस रूप मे रामलीला के, रावण का पाठ कर सकते थे
प्रान्गण के पास के मन्दिर मे, जो माथा टेक के आते थे
भगवन का रूप वही बच्चे, बन मुर्गा बांग लगाते थे
मुझसे भी ज़्यादा समझदार, दादू की बकरी का बच्चा था,
पर बकरी, मुर्गी से ज़्यादा, दादू का हुक्का अच्छा था,
वो जब भी हुक्का पीते थे, मैं उसमे पानी भरता था,
और इसी सुकृत्य के कारण, दादू का बहुत चहेता था
हर सांझ ढ्ले उस आँगन मे, एक दिया रोज जल जाता था,
जब चूल्हा जलता था घर मैं, और मैं भूखा सो जाता था,
तब माँ आके जगाती थी, और प्यार से चपत लगाती थी,
फ़िर अपने प्यारे हांथो से, वो रोटी साग खिलाती थी I
जब मैं छोटा बच्चा था, तब सब कितना अच्छा था,
जब मैं छोटा बच्चा था, तब मैं शायद ज़्यादा अच्छा था I
ये एक सवाल है तुम सब से, ये एक सवाल है हम सब से
जो दुनिया चम् - चम् करती है, क्या ये अच्छी है बचपन से?
जब कभी चाय का प्याला माँ लेकर सिरहाने होती थी
या कभी - कभी जब बाबूजी की सौ उलाहने होती थी
आँगन मैं आधा चंदा और आधा सूरज सा होता था
तुलसी हंसती थी महक-महक और नीम दातून पिरोता था
आँगन के कोने का जो नल, हर सुबह भूत बन जाता था
उस भूत के मुँह से सर्प निकल, हल-हल विषदंत चुभाता था
साबुन का झाग तो दुश्मन था, सपनो का महल बिखरता था
आंगनबाडी तो अच्छी थी, पर बसता बहुत अखरता था
जो पाठ पढ़ा था कल तुमने, उसको दोहराओ आज ज़रा
ये शब्द नही थे तरकश थे, सब लोग सहम से जाते थे
दो पल के लिए सभी बच्चे, हनुमान भक्त हो जाते थे
सर छुपा- छुपा के पुस्तक मे. हनुमान चालीसा गाते थे
छड़ लिए सामने मास्टरजी, कोई दानव से लगते थे
इस रूप मे रामलीला के, रावण का पाठ कर सकते थे
प्रान्गण के पास के मन्दिर मे, जो माथा टेक के आते थे
भगवन का रूप वही बच्चे, बन मुर्गा बांग लगाते थे
मुझसे भी ज़्यादा समझदार, दादू की बकरी का बच्चा था,
पर बकरी, मुर्गी से ज़्यादा, दादू का हुक्का अच्छा था,
वो जब भी हुक्का पीते थे, मैं उसमे पानी भरता था,
और इसी सुकृत्य के कारण, दादू का बहुत चहेता था
हर सांझ ढ्ले उस आँगन मे, एक दिया रोज जल जाता था,
जब चूल्हा जलता था घर मैं, और मैं भूखा सो जाता था,
तब माँ आके जगाती थी, और प्यार से चपत लगाती थी,
फ़िर अपने प्यारे हांथो से, वो रोटी साग खिलाती थी I
जब मैं छोटा बच्चा था, तब सब कितना अच्छा था,
जब मैं छोटा बच्चा था, तब मैं शायद ज़्यादा अच्छा था I
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